मिट्टी की जांच कब , क्यों , कैसे कृषि में मृदा परीक्षण या " भूमि की जाँच " एक मृदा के किसी नमूने की रासायनिक जांच है जिससे भूमि में उपलब्ध पोषक तत्वों की मात्रा के बारे में जानकारी मिलती है। इस परीक्षण का उद्देश्य भूमि की उर्वरकता मापना तथा यह पता करना है कि उस भूमि में कौन से तत्वों की कमी है। कब फसल की कटाई हो जाने अथवा परिपक्व खड़ी फसल में। प्रत्येक तीन वर्ष में फसल मौसम शुरू होने से पूर्व एक बार। भूमि में नमी की मात्रा कम से कम हो। क्यों सघन खेती के कारण खेत की मिट्टी में उत्पन्न विकारों की जानकारी। मिट्टी में विभिन्न पोषक तत्वों की उपलब्धता की दशा का बोधक। बोयी जाने वाली फसल के लिए पोषक तत्वों की आवश्यकता का अनुमान। संतुलित उर्वरक प्रबन्ध द्वारा अधिक लाभ। मृदा पोषक तत्वों का भंडार है तथा पौधों को सीधे खडा रहने के लिए सहारा देती है। पौधों को अपना जीवन चक्र पूरा करने के लिए 16 पोषक तत्वों की आवश्यक
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पटना के 33 वर्षीय युवक रमेश रंजन ने मधुमक्खी पालन के माध्यम से 200 से अधिक परिवारों के जीवन में खुशियों की मिठास घोली है। वहीं राज्य को मधु उत्पादन में अव्वल बनाने में भी रमेश जैसे युवाओं का ही योगदान है। सरसो , लीची , जामुन , करंज व यूकेलिप्टस के फूलों से मधु तैयार कर केरल सहित दक्षिण भारत के राज्यों में मधु की आपूर्ति से सालाना 15 लाख रुपए से अधिक कमाते हैं। खुद दो दर्जन युवाओं को सीधा रोजगार दिलाया है। साथ ही युवाओं को मधुमक्खी पालन का मुफ्त प्रशिक्षण देते हैं। उन्हें मधुमक्खी युक्त बॉक्स के साथ खेतों और बगीचों में पूरी जानकारी भी देते हैं। उनसे मधु भी खुद खरीद लेते हैं , ताकि बाजार की समस्या न रहे। रमेश रंजन ने महज पांच मधुमक्खी के बक्से से मधुपालन की शुरुआत की। आज इनके पास 700 बक्से हैं। एक बक्से से साल में औसतन 60 से 80 किलो मधु का उत्पादन होता है। जल्द ही ऑटोमेटिक शहद प्रोसेसिंग प्लांट लगाने की योजना है। इससे गुणवत्ता के