पटना के 33 वर्षीय युवक रमेश रंजन ने मधुमक्खी पालन के माध्यम से 200 से अधिक परिवारों के जीवन में खुशियों की मिठास घोली है। वहीं राज्य को मधु उत्पादन में अव्वल बनाने में भी रमेश जैसे युवाओं का ही योगदान है। सरसो, लीची, जामुन, करंज यूकेलिप्टस के फूलों से मधु तैयार कर केरल सहित दक्षिण भारत के राज्यों में मधु की आपूर्ति से सालाना 15 लाख रुपए से अधिक कमाते हैं। खुद दो दर्जन युवाओं को सीधा रोजगार दिलाया है। साथ ही युवाओं को मधुमक्खी पालन का मुफ्त प्रशिक्षण देते हैं। उन्हें मधुमक्खी युक्त बॉक्स के साथ खेतों और बगीचों में पूरी जानकारी भी देते हैं। उनसे मधु भी खुद खरीद लेते हैं, ताकि बाजार की समस्या रहे।
रमेश रंजन ने महज पांच मधुमक्खी के बक्से से मधुपालन की शुरुआत की। आज इनके पास 700 बक्से हैं। एक बक्से से साल में औसतन 60 से 80 किलो मधु का उत्पादन होता है। जल्द ही ऑटोमेटिक शहद प्रोसेसिंग प्लांट लगाने की योजना है। इससे गुणवत्ता के साथ उत्पादन क्षमता और बढ़ जाएगी। वे ऑनलाइन मार्केटिंग भी करते हैं। मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, वैशाली, समस्तीपुर, पटना भागलपुर आदि जिलों के युवाओं किसानों को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दिया है। रमेश के पिता अखिलेश्वर प्रसाद सिंह सरकारी सेवा में थे। परिवार के लोग भी चाहते थे कि रमेश पढ़कर अच्छी नौकरी करें। लेकिन, वे बीकॉम की पढ़ाई बीच में छोड़ मधुमक्खी पालन में लग गए।
5 प्रकार की होती हैं मधुमक्खियां : 1. एपिस इंडिका, 2. एपिस मेलिफेरा, 3. डोरसेटा, 4. एपिस सेराना और 5. स्टिगलेस। एपिस मेलिफेरा मधुमक्खी अन्य की अपेक्षाकृत बड़ी होती है। इससे मधु उत्पादन अधिक मिलता है।
यूपी से छत्तीसगढ़ तक ले जाते मधुमक्खी बक्सा
  • उत्तरप्रदेश :करंज यूकेलिप्टस के फूल से मधु बनाने के लिए अप्रैल मई में {छत्तीसगढ़ : सरगुजा के फूल से मधु बनाने के लिए लिए 
  • मुजफ्फरपुर : लीची से मधु {बाढ़ सहित टाल क्षेत्र में: सरसो से मधु तैयार करने के लिए जामुन नीम से फूल से तैयार कराते हैं मधु.

कहां भेजते हैं मधु : केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र आैर कर्नाटक
बड़ा गुणकारी है मधु - मधु (शहद) का उपयोग पूजा से लेकर सौंदर्य प्रसाधन और पौष्टिकता के लिए किया जाता है। यह खांसी दमा में उपयोगी होता है। यह एंटीऑक्सीडेंट का काम करता है। इसमें विटामिन , बी2, बी5, बी6 के साथ ग्लूकोज, फ्रक्टोज, पोटैशियम, कैल्सियम, सल्फर, फास्फेट, जिंक आयरन आदि खनिज तत्व होते हैं। यह आंखों की रोशनी तेज करने श्वास संबंधी बीमारी दूर करने में उपयोगी है। इससे कई प्रकार की दवा, क्रीम, ऑयल आदि बनते हैं। मोटापा कम करने, घाव ठीक करने और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी इसका इस्तेमाल होता है।
कैसे तैयार होता है मधु - एक बक्से में पांच से सात हजार मधुमक्खियां रहती हैं। इसमें एक रानी मधुमक्खी और कुछ ड्रोन (नर मधुमक्खी) वर्कर मधुमक्खी रहती हैं। फूल के समय आम तौर पर जनवरी-फरवरी से अप्रैल-मई तक खेतों ओर बगीचों में बक्से रखे जाते हैं। तीन किमी की रेंज से मधुमक्खियां फूलों से रस लाकर बक्से के छत्ते में भरती हैं। एक दिन में रानी मधुमक्खी 1500 से 2000 अंडे देती है। वर्कर मधुमक्खियां अपने पंख से लाए रस को झेलते हुए पानी सुखाते हैं और मधु तैयार होता है। प्रोसेसिंग यूनिट में मशीनों से छत्ते से मधु निकाल कर पैक किया जाता है।
युवाओं की बड़ी भूमिका - बिहार मधु उत्पादन में दूसरे स्थान पर गया है। इसके लिए रमेश रंजन जैसे युवाओं की बड़ी भूमिका है। मधुमक्खी पालन से फसल फल उत्पादन में भी वृद्धि होती है। इससे लोगों की आय बढ़ती है। राज्य सरकार भी मधुमक्खी पालन के लिए लोगों को प्रशिक्षण दिला रही है।

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